वर्ष 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण आज यानी शुक्रवार को मोदी सरकार द्वारा जारी किया जाएगा. इस सर्वे से यह साफ होगा कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश के वास्तव में क्या आर्थिक हालात रहे हैं. यह सर्वे इकोनॉमी की आधिकारिक तस्वीर पेश करता है, इसलिए सबकी नजरें इस पर लगी होंगी. इकोनॉमिक सर्वे में जीडीपी, निवेश, निर्यात, एनपीए, राजकोषीय घाटा जैसी महत्वपूर्ण मामलों की सही तस्वीर सामने आएगी. वास्तव में यह भारतीय अर्थव्यवस्था के कई 'छुपे सच' को भी उजागर करेगा.
जीडीपी ग्रोथ की हालत करेगा बयां
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पिछले एक साल में इकोनॉमी का सबसे चर्चित मसला रहा है. देश की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार काफी घट गई है और आधा दर्जन से ज्यादा देसी-विदेशी एजेंसियों ने यह अनुमान जारी किया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी के आसपास ही रहेगा.
सरकार के जीडीपी आंकड़ों को लेकर विवाद भी रहा है. इकोनॉमिक सर्वे से पता चल जाएगा कि ये अनुमान वास्तव में कितने करीब हो सकते हैं, या जीडीपी ग्रोथ कहीं इन अनुमानों से भी कम तो नहीं हो जाएगी? केंद्र सरकार के संगठन केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) ने भी इस वित्त वर्ष में 5 फीसदी की ग्रोथ रहने का अनुमान जारी किया है.
बात सिर्फ इस आंकड़े की नहीं है, इकोनॉमिक सर्वे से यह पता चलेगा कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था अब सुस्ती से बाहर आएगी? क्या अर्थव्यवस्था में सुधार के कोई संकेत दिख रहे हैं? कब तक भारत फिर से तेज रफ्तार को हासिल कर पाएगा ?
नौकरियों का क्या सीन है ?
पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है. जीडीपी में गिरावट का असर नौकरियों पर भी पड़ा है और पीएफ या अन्य आंकड़े जारी कर सरकार यह बताने की कोशिश करती रही है कि लोगों को रोजगार मिल रहा है. लेकिन वास्तव में रोजगार की क्या स्थिति रही है. आगे इसमें सुधार किस तरह से होगा, इसकी तस्वीर इकोनॉमिक सर्वे से मिलेगी.
निवेश और निर्यात जैसे आंकड़े
इकोनॉमिक सर्वे में इसका भी आंकड़ा आएगा कि पिछले एक साल में देश में निवेश और निर्यात आदि की क्या स्थिति है. इसमें बैंकों के एनपीए, राजकोषीय घाटा, देश के ऊपर कर्ज, खेती और इंडस्ट्री के हालात का भी विवरण हासिल होगा.